सिडकुल ने हरियाली पर डाला ‘डाका’

उत्तराखंड राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (सिडकुल) ने सारी सीमाएं लांघकर सेलाकुई औद्योगिक क्षेत्र की ग्रीन बेल्ट को बेच डाला।

सुझाव को किया दरकिनार
सुप्रीम कोर्ट मॉनीटरिंग कमेटी के सुझाव को दरकिनार करके यह कदम उठाया गया है। इस प्रकरण में इंडस्ट्रियल वेलफेयर एसोसिएशन के महासचिव महेश शर्मा ने लोकायुक्त में वाद दायर किया है। वह इस प्रकरण को हाईकोर्ट तक में ले जाने की तैयारी कर रहे हैं, जिससे ग्रीन बेल्ट को बचाया जा सके।

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अमर उजाला ने 27 अप्रैल 2013 के अंक में ही खुलासा किया था कि ‘अब सेलाकुई में बिकेगी ग्रीन बेल्ट’। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट मॉनीटरिंग कमेटी के सचिव एमसी घिल्डियाल केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय से अनुमति के बाद ही प्लाट बेचने का सुझाव दिया था।

इसको लेकर प्रमुख सचिव से लेकर सिडकुल तक के अधिकारियों को पत्र भेजा गया था, लेकिन किसी स्तर पर सुनवाई नहीं हुई। इस बीच सिडकुल ने अपनी मर्जी से ग्रीन बेल्ट को बेच दिया। हिदायत के बावजूद इसके लिए केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की अनुमति नहीं ली गई।

सिडकुल नहीं बेच सकता था ग्रीन बेल्ट
किसी भी आवासीय कॉलोनी या औद्योगिक क्षेत्र का लेआउट पास करते समय सड़क, पार्क, सामुदायिक भवन, स्वास्थ्य केंद्र या अन्य सुविधाओं का प्रावधान होता है।

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इन जन सुविधाओं पर आने वाला खर्च संबंधित एजेंसियां अन्य प्लाट मालिकों से वसूल करती हैं। इसी तरह से जब सेलाकुई औद्योगिक क्षेत्र विकसित किया गया था तब ग्रीन बेल्ट की रकम उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम लिमिटेड (यूपीएसआईडीसी) ने स्थानीय उद्योगपतियों से वसूल की थी।

सिडकुल ने नियमों को ताक पर रखकर ग्रीन बेल्ट को बेच दिया। इस मामले में उद्योगपति चैन से बैठने वाले नहीं है।

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